Linux Is Best Os

जानिए, लिनक्स आखिर क्यूं है दमदार ओएस..

 

अगर आप विंडोज या एपल के ऑपरेटिंग सिस्टम ओएसएक्स के अलावा किसी और ओएस को यूज करने की सोच रहे हैं, तो लिनक्स को चुन सकते हैं। लिनक्स में वे सभी फीचर्स हैं, जो विंडोज में सोच भी नहीं सकते। जानें लिनक्स की खासियतों के बारे में..

 

लिनक्स ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए आपको कोई एक्स्ट्रा कॉस्ट नहीं चुकानी पड़ती, साथ ही विंडोज की तरह लाइसेंस भी नहीं लेना पड़ता। फ्री ऑपरेटिंग सिस्टम होने के कारण लिनक्स के साथ पाइरेसी का भी कोई झंझट नहीं होता। इसके अलावा, अगर आपके पीसी या लैपटॉप में विंडोज है, तो भी आप लिनक्स को किसी दूसरी ड्राइव में इंस्टॉल कर सकते हैं।

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जब भी कभी आप विंडोज ओएस वाले पीसी या लैपटॉप में कोई सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करते हैं, तो विंडोज आपको रीबूट का मैसेज देता है। अगर कोई जरूरी काम कर रहे हैं और पीसी को रीबूट करना पड़े, तो उस समय काफी गुस्सा भी आता है, लेकिन लिनक्स के साथ ऐसा नहीं है। यहां पर आपको किसी भी सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने के बाद 10 मिनट में री-स्टार्ट करने का कोई पॉप-अप मैसेज नहीं आता। आप अपना काम बिना री-स्टार्ट ही जारी रख सकते हैं।

 

आप अपने पीसी या लैपटॉप को कितने भी घंटे चलाएं, लेकिन लिनक्स कभी थकता नहीं। अक्सर विंडोज पीसी या लैपटॉप को कई घंटे चलाने के बाद यह स्लो हो जाता है या हैंग होने लगता है। लिनक्स की खासियत है कि लगातार कई घंटों तक पीसी या लैपटॉप को ऑन रखने के बाद भी उसकी स्पीड वैसी ही रहती है, जैसी बूटअप होने के बाद होती है। इसके अलावा, विंडोज की तरह इसमें रजिस्ट्री फाइल्स या टेंप फाइल्स डिलीट करने के लिए कोई थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती, जबकि विंडोज में कुछ महीनों बाद ही डायरेक्ट्री में ऐसी प्रॉब्ल्म्स का शुरू हो जाना आम बात है।

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जैसे विंडोज कई वर्जन में उपलब्ध है, ठीक वैसे ही लिनक्स भी कई वर्जन में आता है, लेकिन अंतर केवल इतना है कि विंडोज के सभी वर्जन माइक्रोसॉफ्ट ही बनाती है, जबकि लिनक्स के वर्जन सभी डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों ने अपने हिसाब से अलग-अलग कस्टमाइज्ड किए हैं। आप अपनी जरूरत के हिसाब से लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के कस्टमाइज्ड एडिशन को चुन सकते हैं। इंटरनेट पर कई ऐसी कम्युनिटीज हैं, जिनकी मदद से यूजर अपना कस्टमाइज्ड एडिशन चुन सकते हैं।

 

आपको ध्यान होगा कि विंडोज एक्सपी और उससे पहले के विंडोज वर्जंस में जब भी कोई नई डिवाइस या हार्डवेयर कनेक्ट करते थे, तो वह उसके लिए अलग से ड्राइवर इंस्टॉलेशन के लिए पूछा करता था, जिसके बाद सीडी से ड्राइवर्स अलग से इंस्टॉल करने पड़ते थे। लेकिन नए लिनक्स के साथ ऐसा कुछ नहीं है। यह विंडोज जैसा ही कंपेटेबल है। यानी आप लिनक्स पर प्रिंटर, स्कैनर, एक्सबॉक्स कंट्रोल समेत तमाम डिवाइसेज बेखौफ हो कर चला सकते हैं। इसके अलावा, लिनक्स में एक और खूबी है कि अगर किसी डिवाइस को लिनक्स पर चलाने को लेकर कोई कंफ्यूजन है, तो लिनक्स को पीसी पर इंस्टॉल किए बिना ही लाइव सीडी पर उस हार्डवेयर या डिवाइस की टेस्टिंग कर सकते हैं।

 

विंडोज में रैम अपग्रेडेशन या मदरबोर्ड अपग्रेड करने पर, विंडोज सॉफ्टवेयर्स को री-इंस्टॉल करने के लिए पूछता है, लेकिन लिनक्स के साथ ऐसा नहीं है। यह लिनक्स का यूनीक फीचर है, जिसकी विंडोज में अभी तक कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसके अलावा, लिनक्स को यूजर पेनड्राइव से भी रन कर सकते हैं। लिनक्स को अगर इंस्टॉल नहीं करना चाहते हैं, तो पेनड्राइव से भी इसे पीसी या लैपटॉप पर रन किया जा सकता है। साथ ही, लिनक्स को पीसी पर इंस्टॉल करने के बाद किसी भी अपग्रेडेशन पर ड्राइव्स को दोबारा से री-इंस्टॉलेशन की जरूरत नहीं पड़ती।

 

लिनक्स में यूजर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के लिए सिनैप्टिक पैकेज मैनेजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। विंडोज ने तो हाल ही में अपना एप्लीकेशन स्टोर शुरू किया है, लेकिन लिनक्स पर यह काफी समय से है। आप अपनी जरूरत के मुताबिक, सॉफ्टवेयर्स ढूंढ कर उन्हें इंस्टॉल कर सकते हैं। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर्स के साथ ऑरिजनल रूट भी डाउनलोड होता है। अगर आप लिनक्स कोड्स के बारे में जानते हैं, तो उन सॉफ्टवेयर्स में रूट के जरिए अपने मुताबिक चेंजेज भी कर सकते हैं।

 

आपने किसी फाइल को आखिरी बार कब एक्सेस किया था, यह जानने के लिए विंडोज में आपको फाइल्स की प्रॉपर्टीज में देखना पड़ता है, लेकिन लिनक्स में टच कंमाड से आप टाइमस्टैंप में फाइल्स की लॉग एक्टिविटी चेक कर सकते हैं। इसके अलावा, विंडोज में फाइल नेम 260 करैक्टर्स में ही लिख सकते हैं, जबकि लिनक्स में इसके लिए कोई लिमिट ही नहीं है।